पृथ्वी की परिधि नापने का प्रयोग हुआ सम्पन्न Earth experiment complete 
आज सी वी रमण विज्ञान क्लब
सरोजिनी कालोनी के सदस्यों ने पृथ्वी की परिधि नापने के प्रयोग के अंतिम चरण में
उज्जैन से प्राप्त आंकड़ों को स्थानीय आंकड़ों के साथ  मिला कर गणना की और पृथ्वी की परिधि ज्ञात की। 
हालांकि यह आंकड़े प्रगति विज्ञान संस्था और अंतर्राष्ट्रीय इरेटोस्थनीज़ संस्था को भी भेज दिए गए हैं तब तक उज्जैन और डोंगला के परिणामों से यमुनानगर के परिणामों की गणना से यह देख लिया जाए कि अपने क्लब सदस्यों के परिणाम कैसे रहे।      
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| भारतीय काल गणना केन्द्र पद्म श्री डा. विष्णु श्रीधर वाकणकर वेधशाला, डोंगला तहसील महिदपुर जिला उज्जैन | 
क्लब समन्वयक दर्शन लाल ने
बताया कि इस प्रयोग के लिए स्टीक आंकड़े प्राप्त करने के लिए वह खुद प्रवक्ता संजय
शर्मा के साथ उज्जैन की जीवाजी व डोंगला काल गणना वेधशाला जंतर मंतर गए थे वहाँ उन
दोनों ने 20 से 22 जून तक कर्क रेखा पर स्थित तीन अलग अलग जगह
प्रयोग करके प्रेक्षण लिए गए।  
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| उज्जैन की जीवाजी काल गणना वेधशाला जंतर मंतर | 
जंतर मंतर जीवाजी वेधशाला
उज्जैन और भारतीय काल गणना केन्द्र पद्म श्री डा. विष्णु श्रीधर वाकणकर वेधशाला, डोंगला
तहसील महिदपुर जिला उज्जैन के प्रेक्षण और यमुनानगर के प्रेक्षण से प्राप्त
रीडिंग  को सूत्रों में प्रतिस्थापित करके
पृथ्वी की परिधि इरेटोस्थनीज़ विधि से ज्ञात की गयी।  
क्या है विधि 
क्लब के पदाधिकारी प्रवक्ता
संजय शर्मा ने बताया कि सबसे पहले दो स्थानों का चयन किया जाता है जहां प्रयोग
किया जाना है उन दो स्थानों में यदि एक स्थान ऐसा है जो कि कर्क रेखा स्थित पर है।
21 जून को जिस समय वहाँ शंकु यंत्र की परछाई शून्य हो जाती है तो उस समय
वहाँ सूर्य का उन्नयन शून्य प्राप्त होगा। 
| डोंगला का गूगल अर्थ चित्र | 
उसी समयांतराल में यह
प्रयोग दूसरी युग्म टीम किसी दूसरे स्थान पर कर रही होती है जो की कर्क रेखा से
अच्छी खासी अक्षांशीय दूरी पर हो। दोनों टीमों के न्यूनतम परछाई से प्राप्त उन्नयन
कोणों के अंतर को सूत्र में दोनों स्थानों के बीच अक्षांशीय दूरी के साथ
प्रतिस्थापित किये जाने पर हल करके पृथ्वी की परिधि ज्ञात हो जाती है। इस प्राप्त
परिणाम को पृथ्वी की मानक परिधि के साथ तुलना करके त्रुटि ज्ञात की जाती है जितनी
कम त्रुटि होगी उतना ही स्टीक परिणाम माना जाएगा। पृथ्वी की परिधि का स्टैंडर्ड
मान 40075 किलोमीटर है।
पाठयांक  
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Group | 
Group Leader  | 
Gnomon | 
Shadow | 
Angle | 
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Yamunanagar Group-1 | 
Aman Kamboj | 
100 cm | 
12.2 cm | 
6°57' = 6.956° | 
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Yamunanagar 
Group-2 | 
Simran, Vishvaas   | 
49.5 cm | 
5.80 cm | 
6°40' = 6.683° | 
| 
Yamunanagar 
Group-3 | 
Arun | 
50 cm | 
5.7 cm | 
6°30' = 6.504° | 
परिणाम इस प्रकार रहे 
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| अमन और उसकी टीम | 
युग्म टीम एक में पहला
प्रयोग किया अमन और उसकी टीम ने सरोजिनी कालोनी में जिनको 100 सेमी
शंकु यंत्र की न्यूनतम परछाई प्राप्त हुई 12.2 सेमी और गणना
से सूर्य का उन्नयन कोण प्राप्त हुआ 6.95 डिग्री और दूसरी
टीम ने प्रयोग किया उज्जैन के जंतर मंतर में जहां परछाई की न्यूनतम लम्बाई प्राप्त
हुई शून्य सेमी जिस कारण कोण का मान शून्य प्राप्त हुआ। सूत्र में यह मान
प्रतिस्थापित करने पर इस युग्म टीम को पृथ्वी की परिधि 40058 किलोमीटर प्राप्त हुई। इस टीम का त्रुटि प्रतिशत 0.04 प्रतिशत रहा।
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| सिमरन और विश्वास और उसकी टीम | 
युग्म टीम दो में पहला
प्रयोग किया सिमरन और विश्वास और उसकी टीम ने इंदिरा गार्डन कालोनी में जिनको 49.5 सेमी
के शंकु यंत्र पर न्यूनतम परछाई प्राप्त हुई 5.8 सेमी और
गणना से सूर्य का उन्नयन कोण प्राप्त हुआ 6.68 डिग्री और इस
युग्म की दूसरी टीम ने प्रयोग किया उज्जैन से 30 किलोमीटर
उत्तर दिशा में महिदपुर तहसील के गावं डोंगला की डा. विष्णु श्रीधर वाकणकर वेधशाला,
जहां परछाई की न्यूनतम लम्बाई प्राप्त हुई शून्य सेमी जिस कारण कोण
का मान शून्य प्राप्त हुआ। सूत्र में यह मान प्रतिस्थापित करने पर इस युग्म टीम को
पृथ्वी की परिधि 40041 किलोमीटर प्राप्त हुई। इस टीम का
त्रुटि प्रतिशत 0.08 प्रतिशत रहा।
क्या है लाभ? 
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| सिर पर सूर्य | 
दर्शन
लाल ने बताया कि आधुनिक विज्ञान ने भौतिकवाद को बढ़ाया है मनुष्य को अपने प्राचीन
विज्ञान को नहीं भूलना चाहिए क्योंकि प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों व खगोलविदों ने
साधनों के आभाव में वर्षों के प्रायोगिक अनुभव से काल गणना करना सीखा और समस्त
विश्व को भी सिखाया यदि ऐसा है तभी तो विदेशों से खगोलविद आज भी स्टीक काल गणना के
लिए उज्जैन आते है। इस बार भी इस दुर्लभ दृश्य के गवाह बनने के लिए देश भर के खगोल
वैज्ञानिकों के साथ आम लोग भी उज्जैन जिले के इस छोटे-से गांव में उमड़ पड़े।  22 जून से सूर्य सायन कर्क राशि में
प्रवेश करके दक्षिण की ओर गति करना प्रारंभ कर देगा। ज्योतिष शास्त्र की जुबान में
इसे सूर्य का दक्षिणायन होना कहा जाता है। इसके बाद रात के मुकाबले दिन लगातार
छोटे होते जाते हैं। मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग करोडो रुपयों की लागत से
उज्जैन जिले में कर्क रेखा पर भारतीय काल गणना केन्द्र पद्म श्री डा. विष्णु
श्रीधर वाकणकर वेधशाला व शोधकेन्द्र का निर्माण करवा रहा है। यहीं पर कोणार्क
सूर्य मंदिर की तर्ज पर विशाल सूर्य मंदिर निर्माण का प्रस्ताव भी है। दोनों के बन
जाने पर उज्जैन जिला विश्व के नक़्शे पर एक और कुम्भ मेले ‘खगोलविदो का कुम्भ’ के
लिए विश्वविख्यात हो जाएगा।
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| शून्य परछाई की स्थिति | 
साल में चार बार इस प्रयोग
से पृथ्वी की परिधि ज्ञात करके यमुनानगर जिले के 120 बच्चे लाभान्वित होते हैं
और शुद्ध देसी काल गणना विधि के ज्ञानवर्धन से लाभान्वित होते हैं व उनके मन में
प्राचीन भारतीय विज्ञान के प्रति सम्मान व जिज्ञासा उत्पन्न होती है।
अगली  पोस्ट में अंतर्राष्ट्रीय इरेटोस्थनीज़ संस्था के सदस्य देशो के बच्चों के साथ परिणाम इस प्रकार रहे,  
अखबारों में खबर .....
प्रस्तुति: सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर, हरियाणा
अखबारों में खबर .....
प्रस्तुति: सी.वी.रमन साइंस क्लब यमुना नगर, हरियाणा
द्वारा: दर्शन बवेजा,विज्ञान अध्यापक,यमुना नगर, हरियाणा


 
 


 
 







